हाईकोर्ट के आदेश के बाद उप्र राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भी सभी डीएम को आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की चुनाव या अन्य गैर विभागीय ड्यूटी न लगाने को कहा है। इस संबंध में आयोग की सदस्य डॉ. शुचिता चतुर्वेदी की ओर से सभी डीएम को पत्र लिखा गया है। जिसमें उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के निर्णय का अक्षरश: पालन किया जाए। ताकि 0 से 6 वर्ष तक आयु वर्ग के बच्चों के स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षा संबंधी कार्य प्रभावित न होने पाए।
आयोग की सचिव की ओर से लिखे गए पत्र में बच्चों के पोषण के लिए संचालित कार्यक्रमों का हवाला देते हुए कहा गया है कि मौजूदा समय में प्रदेश में 1.88 लाख से आंगनबाड़ी केन्द्रों का संचालन किया जा रहा है। जिसके माध्यम से करीब 1.5 करोड़ बच्चों और 40 लाख गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य और पोषण की निगरानी की जा रही है। इसके लिए सरकार ने 3.50 लाख से अधिक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकायों को नियुक्त कर रखा है।
वहीं खाद्य सुरक्षा अधिनियम में साल में कम से कम 300 दिन आंगनबाड़ी केंद्रों को संचालित करने का प्रावधान है। लेकिन आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के गैर विभागीय और चुनाव संबंधी कार्यों में ड्यूटी लगा देने से पोषण कार्यक्रम बाधित हो जाता है। आयोग ने सभी डीएम से बाल अधिकारों के संरक्षण केलिए केन्द्र सरकार की राष्ट्रीय बाल संरक्षण नीति, नई शिक्षा नीति और खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अलावा सुप्रीम कोर्ट के आदेश का कड़ाई से पालन कराने का अनुरोध किया है। साथ ही इस सबंध में की गई कार्यवाही से आयोग को अवगत कराने को कहा गया है।