आपको बता दें कि जनपद उन्नाव चिकित्सालय में कुछ अद्भुत देवता गण (डॉक्टर) उपस्थित है जिन की कार्यशैली इतनी उत्तम है कि मरीज खुद आया तो ठीक है अन्यथा अज्ञात अनाथ अस्वस्थ पुरुष व महिला किसी कारणवश अस्पताल आ जाए तो उसे समुचित व्यवस्था या बेड भी उपलब्ध नहीं हो पाता है उसे इस जीवन से जब तक लज्जा न आ जाए तब तक उस इमरजेंसी के द्वार पर अनाथो की तरह जमीन पर ही लेटना पड़ता है।
आखिरकार ऐसा क्यों ना हो क्योंकि जहां पर लोगों को जिंदगी दी जाती हैं वहां पर ऐसी घटना है तो आम हो गई हैं कि अज्ञात पुरुष व महिला लावारिसो की तरह द्वार पर ही पड़े रहते हैं। ऐसे में यदि हमारे उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक जी जनपद उन्नाव के जिला अस्पताल पधार जाएं तो क्या ही कायाकल्प हो जाए इसकी कोई तुलना नहीं कर सकता है। आज दिन भर से कई अधिकारी एवं पुलिस कर्मचारी साथ ही मुख्य अधीक्षक (सीएमएस) एवं वरिष्ठ डॉक्टर भी कई बार गुजरे होंगे परंतु ध्यान दें कर भी अनदेखा कर दिया जाता है शायद जिला अस्पताल में बेडो की कमी के कारण ऐसा संभव है। जिम्मेदार अधिकारी अब तक खामोश है।
एक्टिविस्ट
प्रशान्त त्रिपाठी के साथ ✍️