पिता शासनिक व प्रशासनिक कार्यालयों की ठोकरे खाने को है मजबूर, लेकिन एक दुर्लभ गरीब पिता अपनी बेटी को न्याय दिलाने में अक्षम।
प्रशान्त त्रिपाठी की रिपोर्ट।
उन्नाव। हमारे देश में दहेज एक सामाजिक बुराई है जिसके कारण समाज में महिलाओं के लिए अकल्पनीय यातनाएं और अपराध उत्पन्न होते रहते हैं इसी क्रम में भारतीय वैवाहिक व्यवस्था बिल्कुल चरमराई हुई है। अब ऐसे में शादी के समय दुल्हन के ससुराल वालों को लड़की के परिवार द्वारा नगद या कोई सम्मान के रूप में आजकल दहेजिया भुगतान किया जाता है।
ऐसे में जनपद उन्नाव में आए दिन घटनाएं देखने को लगातार मिल रही है इसी क्रम में उन्नाव के काली मिट्टी दही चौकी की रहने वाली बिटिया मृतक अनम खान की शादी करीब 2 महीने पहले ही हुई थी, लगभग 1 महीने तक सब कुछ बढ़िया चल रहा था तभी अनम के शौहर शिबू खान द्वारा उसके पिता से एक मोटरसाइकिल और करीब ₹300000 की मांग का दबाव अनम खान के पिताजी के ऊपर पड़ा।
अनम के पिता बहुत ही गरीब घर से है उन्होंने अपने दामाद शिबू से कहा कि आपको यदि कोई व्यापार करना है तो आपको मैं केवल ₹85000 ही दे सकता हूं दमाद ने उनकी बातों को स्वीकार कर लिया और पिता ने सबसे थोड़ा-थोड़ा मांग कर बड़ी मुश्किलों से इंतजाम कर के दमाद को ₹85000 नकद दे दिए।
कुछ दिन तक तो सब कुछ सही चला, फिर कुछ दिनों के बाद वही मांग को लेकर पिता के ऊपर दबाव बनाया गया। क्योंकि दामाद शिबू ने ₹85000 रुपयों को अपने खर्च में तब्दील कर दिए थे जब पैसे खत्म हो गए तो उसने अपनी पत्नी के पिता से फिर से ₹300000 और गाड़ी के लिए जोर डाला।
परंतु अब पिता बेबस हो चुका था और उसने पैसे और गाड़ी देने में अपनी अक्षमता को प्रदर्शित कर दमाद को निराश कर दिया। जिसके बाद दामाद शिबू खान, वहीदुल खान (ससुर) चांद बीबी (ननंद), मोनू (देवर) व शाहरुख (देवर) द्वारा बिटिया अनम खान को रोज-रोज चिल्लाना वह गाली गलौज करना शुरू कर दिया।
जब एक दिन कुछ मारपीट व चीखने की आवाज मोहल्ले वालों को पड़ी तब अनम के पिता को सूचित किया गया कि आपकी बेटी ने फांसी लगा लिया है और अब मर चुकी है।
परंतु जब पिता ने वहां जाकर देखा तो पाया कि उसके हाथ पैर पर चोटों के निशान व चेहरा नीला पड़ा हुआ था।
वह तुरंत ही समझ गए कि ससुराल पक्ष में उसको मारा पीटा था। जिसमें पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक मालूम चला कि हाथ के नाखून में जहर पाया गया और साथ ही गले और कोहनी पर नाखून के निशान पाए गए। इससे वह तुरंत समझ गए कि मेरी बिटिया को जानबूझकर मारा गया है।
तत्कालीन पिता ने ससुराल पक्ष की ऐसी कूटनीति को देख उन्नाव सदर कोतवाली में बिटिया के न्याय की गुहार लगाते हुए मुकदमा पंजीकृत करवा दिया। किंतु जनपद उन्नाव की पुलिसिया कार्यवाही इस वक्त रक्षक तो कम लेकिन भक्षक जरूर बन बैठी है उनकी कार्यशैली इतनी महत्वपूर्ण व महान है कि सर्वप्रथम कार्यवाही में विवेचना बताकर इसको डाल दिया जाता है और बाद में उस केश को धीरे धीरे बंद कर दिया जाता है। अभी तक केवल मात्र प्रशासनिक कार्यवाही में मुकदमा पंजीकृत दर्ज करने के बाद भी बस केवल ससुराल पक्ष में मृतक अनम खान की नन्द चांद बीबी को जब सदर कोतवाल प्रभारी ने कोतवाली बुलवाया और कुछ देर पूछताछ के बाद उसे छोड़ दिया। अनम के पिता ने सदर कोतवाली प्रभारी से पूछा कि आपने ऐसा क्यों किया उनके द्वारा मालूम चलता है कि हमने अपने मन से नहीं छोड़ा है हमें ऊपर से आदेश था। अधिक पूछने पर क्षेत्राधिकारी नगर का नाम बताया।
पिता का सवाल:-
क्या जनपद की प्रशासनिक कार्यवाही इतनी निर्लज्जित हो चुकी है कि मेरी बेटी को न्याय कहीं से नहीं मिल पा रहा है क्योंकि यदि जनपद का रवैया ऐसा ही रहा तो ऐसे ससुराल पक्ष के दहेज मांग कर हत्या करने वालो की वजह से हर रोज जनपद में एक पिता अपनी मासूम बेटी को खो देगा।
ऐसे में जनपद की महिला जिला अधिकारी अपूर्वा दुबे जी को एक बार बढ़ते दहेज प्रथा के हत्याओं के मामलो में प्रशासन को एकत्रित कर एक बैठक सुनिश्चित करने की जरूरत है और उसका एक निस्तारण खोज कर ऐसे लोगों पर तत्काल प्रभाव से कठोर कार्यवाही करने की आवश्यकता अब पढ़ चुकी है। क्योंकि बीते कुछ दिनों से जनपद में लगातार दहेज प्रथा में हत्याओं के मामले सामने आ रहे हैं। कुछ पूर्णतायः सामने है और कुछ को दबा दिया जाता है। ऐसे में यह जिम्मेदारी किसी न किसी को लेनी पड़ेगी।